Thursday, July 21, 2011

जाने क्या क्या दिल करता है ...

Guys, have tried to jot down my feelings. Hope you'll like it. Sorry for the length though. But, actually these are the very few things जो मेरा दिल करता है. Actual list to aur bhi bahut badi hai. :-P

दिल करता है जाने क्या क्या,
जाने क्या कुछ,
जाने कैसा,
कैसा कैसा, दिल करता है...
हर दम रहता अपनी धुन में,
अपनी ख़ातिर चाहे क्या क्या,
वह सब कुछ जो कुछ चाहने जैसा,
वह सब कुछ जो है पाने जैसा,
सब कुछ पाने को दिल करता है,
सब कुछ खोने को भी यही दिल करता है,
अपनी पहुँच के भीतर है जो,
और है जो पहुँच के बाहर भी,
छोड़ उसे, वह जो दूर है,
लाखों में एक मश-हूर है,
पहुँच, हैसियत और काबिलियत,
इससे भी ज़्यादा पाने को दिल करता है,
और इन सब से बाहर भी है जो,
वह सब पाने को दिल करता है,
किसी किसी पर आपा खोने को दिल करता है,
कभी कभी स्यापा करने को दिल करता है,
जूतों में बाटा होने को दिल करता है,
मुफलिसी में टाटा होने को दिल करता है,
वापस स्कूल जाने को दिल करता है,
कुड़ियों के सामने कूल होने को दिल करता है,
सफ़ेद कौलर दुनिया में ज़रा काला होने को दिल करता है,
बनिए का लाला होने को दिल करता है,
शादी में बाजा होने को दिल करता है,
वज़ीर का रजा होने को दिल करता है,
रिश्तों की सीढ़ी होने का दिल करता है,
जल्दी से एक बीती हुई पीढ़ी होने का दिल करता है,
गणेशोत्सव का लाऊड -स्पीकर होने को दिल करता है...
ताश में जोकर होने को दिल करता है,
लीडर का डीलर होने को दिल करता है,
डीलर का प्लयेर होने को दिल करता है,
प्लयेर का फिक्सर होने को दिल करता है,
चौके का सिक्सर होने को दिल करता है...
किसी से ख़ास मुलाक़ात करने को दिल करता है,
उसी ख़ास से मुक्का-लात करने को भी दिल करता है,
रोज़ कॉलेज और क्लास के लेक्चर बंक करने को दिल करता है,
कभी कभी तो किसी प्रजा का रंक होने को भी दिल करता है,
बिना पढ़े सी.ए. में पास होने को दिल करता है !!
लोचा फ्रॉम सूरत खाने का दिल करता है,
मिटटी की मूरत होने का दिल करता है,
खाख़ में राख़ होने का दिल करता है,
किसी पत्ति का शाख़ होने को दिल करता है,
कड़वा कड़वा थू करने,
और मीठा मीठा गटक जाने का दिल करता है...
देखो तो ज़रा कैसा बच्चे जैसा है ये दिल,
बेवकूफ़, पागल, पाजि, नादान,
अब और तो और कमीना भी है हाल की फ़िल्मों में,
दिल किसी को देने का भी दिल करता है,
किसी का दिल लेने को दिल करता है,
दिल से सोचने का भी दिल करता है,
पर आखिर दिल तो दिल ही है...
गुलज़ार कहता दिल तो आखिर दिल है ना,
मीठी सी मुश्किल है ना,
आगे कहता दिल है तो दर्द होगा,
दर्द है तो दिल भी होगा...
अब तो दिल को भी टुकड़ों में खर्च करने को दिल करता है,
फ़िर न जाने कैसा कैसा,
कब क्यूँ और कहाँ,
इस बार भी ये दिल कुछ करने को कह रहा है....
कुछ कर रहा है...

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